Saturday, July 4, 2009

सरकती जाए आहिस्‍ता-आहिस्‍ता


हर तरफ वेस्
की नकल का असर है, कॉलेज कैम्पस में लड़के और यहां तक कि लड़कियां भी कमर से सरकती जींस पहने नजर आती हैं। पूछो तो जवाब होता है-ये स्टाइल का मामला है। कुछ लोग ब्रांड खाते हैं, पीते हैं, पहनते हैं, बाकी जगह तो ब्रांड दिख जाता है लेकिन अंडर गारमेंट का ब्रांड दिख पाने का दर्द इन्हें सताता रहता है। इस दर्द से निजात पाने के लिए वे लो वेस् जींस का मरहम लगाते हैं।


कॉलेज के स्
टाइलिश छोरे तो दोनों हाथ ऊपर कर, फि पैर का अंगूठा छूने वाली एक्सरसाइज करके, जब मनचाहा अंदर की बात बाहर करते रहते हैं। लड़कियां भी किसी मामलें में लड़कों से पीछे नहीं रहना चाहती, इसलिए वे 28 की कमर में 30 की जींस खरीद लाती हैं। दरअसल इसकी खोज अंगूठा चूसने वाले बच्चें से हुई। जिसकी आदत छुड़ाने के लिए उसे ढ़ीला-ढ़ाला पैंट पहनाया गया था। वह तो पैंट को संभालता रहा लेकिन जेनेरेशन नेक्सट उसे सरकाने में लगी है।


यूथ जीरो और जिरोइन बनने में लगे हैं, ऐसे में हैंगर में टंगी जींस, बेहतर नजर आती है। कुछ भी सरके, निगाह
और दिमाग नहीं सरकना चाहिए, नहीं तो बात बिगड़ सकती है। सरकन से हमेशा खतरा रहता है, गठबंधन सरकार को समर्थन सरकने का खतरा, खिलाडि़यों को रैंकिंग से सरकने का खतरा रहता है। मुटिया गए लोग भी लो वेस् जींस पहनकर भ्रम में जीते हैं कि अभी मोटापे से दूर है क्यों कि सरकन जारी है।


एक आंटी ने जब ऐसे बंदे-बंदियों को देखा तो रिएक्
शन था - मुओं को शरम नहीं आती बदन ढ़कने के लिए कपड़े पहनते है या बदन दिखाने के लिए। हाई सोसाइटी का यूथ हाई दिखने के लिए लो पहन रहा है। खाता भी है तो लो कैलोरी फूड। वैसे भी कलयुग में देने का जमाना नहीं रहा, सब लेने में लगे है तभी तो नया मंत्र आया है.....लो।

3 comments:

admin said...

जो न हो जाए कम है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Navin rangiyal said...

अच्छा लिख रहे हो , इंदौर से दिल्ली तक के सफर का असर भी दिखाई दे रहा है और दिखाई देना भी चाहिए गोया की परिवर्तन होना चाहिए... कहते है परिवर्तन जीवन का नियम है बशर्ते इंसान अपनी प्रक्रति बनाये रखें। तुम्हारा लिखा मुझे शुरू से अच्छा लगता है। ब्लॉग भी विविधता लिए हुए है जिससे विविध विषयों पर तुम्हारी अच्छी पकड़ का अंदाजा लगता है... बहरहाल गुंजाईश तो हर काम में बनी रहती है॥ में तुम्हारा ब्लॉग देखता रहता हूँ और सीखता रहता हूँ। आगे भी देखता रहूंगा और सीखता रहूंगा॥ ... कीप इत गौरव... मोक्ष॥

saurabh said...

hi ur blog is ver gud . plz add ur photo in blog. gud subject