सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के गुरू रामाकांत आचरेकर ने एक बार कहा था कि विनोद, सचिन से ज्यादा प्रतिभाशाली है, लेकिन उसमें अनुशासन की कमी है। शराबनोशी और गैरजिम्मेजदार रवैए के कारण कांबली का करियर सचिन की तुलना में काफी छोटा है। सचिन विवादों से हमेशा दूर रहे क्योंकि मैदान के साथ उनकें जीवन में भी अनुशासन रहा।
शोएब अख्तर, शेन वार्न या फिर एंडूयू साइमंड किसी भी मैच को पलटने का माद्दा रखते हैं। इसके बावजूद शोएब को टी-20 विश्वकप के पहले ही पाकिस्तान वापस भेज दिया गया, शेन वार्न का वैवाहिक जीवन बिखर गया है और एंडूयू साइमंड का क्रिकेट करियर खत्मे होने की कगार पर है। क्रिकेट के अलावा भी कई उदाहरण हैं।
शास्त्रीय संगीत का एक बडा नाम है कुमार गंधर्व। मध्य प्रदेश में देवास घराने के मुकल शिवपुत्र जो कि स्व. कुमार गंर्धव के बेटे हैं, हाल ही में भोपाल के एक मंदिर में भीख मांगते हुए पहचान लिए गए। जिसके बाद उनकी खोज हुई, फिलहाल प्रदेश सरकार ने उन्हेंद ख़्याल गायकी के एक संस्थान के साथ जोड़ा है। उन्हें ख़्याल गायकी में महारथ हासिल है, वे फक्कड़ और नशे के आदी रहे हैं। उनसे जुड़ा एक वाकया है- अशोक बाजपेयी ने उन्हें एक कार्यक्रम पेश करने दिल्ली बुलाया। वे स्टेज पर पहुंचे लेकिन मूड न होने के कारण मुकुल बिना गाए वापस स्टेज से नीचें आ गए। इस शो की बाकायदा टिकट बिकी थी, बाजपेयी साहब की किरकिरी हो गई।
सफलता सिर्फ प्रतिभा होने से नहीं मिलती, उसके लिए अनुशासन भी जरूरी है। यह बात हर कहीं लागू होती है चाहे वह खेल का मैदान हो या जि़दंगी का स्टेज या फिर कोई कॉरपोरेट ऑफिस ।
Thursday, June 11, 2009
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